Agrasen

 

अग्रवंश के वीर सपूतों

Snehlata Agrawal (Ruhi)   July 7, 2020 3:50 pm
यह कविता “नारनौलिय अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के द्वारा रचित है।  “

बन्धु आज कुछ बात करें
बातें हम मिलकर साथ करें
आओ कुछ संकल्प करें
कुछ और नया इतिहास गढ़ें ।।

तुम अग्रसेन के वंशज हो
अग्र हीं नहीं तुम अग्रज हो ।
अग्र योद्धा तुम अग्र वीर
अग्रसेन के सुत प्रवीर ।

कुछ करके तुम्हें दिखाना है
आगे हीं बढ़ते जाना है ।
क्षण एक नहीं आराम करो
विघ्नों में रहकर नाम करो ।।

अग्रवंश अवतंस बनो
हर जुल्मों पर विध्वंस बनो ।
बढ़कर विपत्तियों पर छा जा
मेरे किशोर मेरे राजा ।।

कहीं कोई दुखी कोई दीन न हो
कोई कातर कोई बलहीन न हो ।
हर चेहरे पर मुस्कान रहे
सुख से भावी संतान रहे ।।

वसुधैव कुटुंबकम का नारा
बन जाए नहीं कहीं नाकारा ।
वसुधा को खुशियों से भर दो
जगमग जगमग जग को कर दो ।।

रत्नों से भरा आगार रहे
परिपूर्ण सदा भंडार रहे ।
रहे चतुर्दिक सुख शान्ति
हरा भरा घर द्वार रहे ।।

यह सब अग्रसेन के प्रेरे हैं
दायित्व तेरे बहुतेरे हैं ।
भारत मां के गलहार बनो
मानवता का श्रृंगार बनो ।।

मानवता का श्रृंगार बनो ।।

         जय प्रकाश अग्रवाल
               बलांगीर    

COMMENTS


Help-Line(हेल्पलाइन):9973159269 






Scroll to Top
Scroll to Top