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वह सब जो आपको वसीयत बनाने के लिए जानना चाहिए

Ranjan Agrawal   July 14, 2020 12:54 pm

एक पुरानी कहावत हैः जहां चाह, वहां राह। लेकिन एक उचित प्रकार से तैयार वसीयत के अभाव में आगे की राहें कई बार न केवल अनेकों बन जाती हैं बल्कि मुस्किल भी हो सकती हैं। बिड़ला परिवार, रैनबैक्सी परिवार, अम्बानी भाईयों या अपने पड़ोस के अंकल से पूछें। वे सभी सहमत होंगे कि पूरी दुनिया में विरासतों से संबंधित अनेकों बुरी वसीयतों की कहानियां हैं। लेकिन भारत में कम से कम वसीयत बनाना वित्तीय प्रबंधन के हिस्से के रूप में कम ही देखा जाता है। लेकिन वसीयत के महत्व या इसके नियोजन के महत्व को जानने से पहले आइए जानें कि वसीयत क्या होती है।

वसीयत क्या होती है ?

यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किसी व्यक्ति/व्यक्तियों का नाम लिखा होता है जो एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रोप्रटी और व्यवसाय को प्राप्त करेगा। इस दस्तावेज को इसे तैयार करने वाले व्यक्ति द्वारा अपने जीवन में कभी भी निरस्त किया जा सकता है, इसमें परिवर्तन किया जा सकता है या इसे बदला जा सकता है।

वसीयत का महत्व:-

वसीयत तैयार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दस्तावेज हमेशा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके द्वारा छोड़ी गई सम्पत्ति की एक इन्वेंटरी के रूप में कार्य करती है। एक स्पष्ट और अच्छी तरह से लिखी वसीयत व्यक्ति के प्राकृतिक वारिसों में झगड़ा होने से बचाती है। और अगर एक व्यक्ति अपने धन को अपने प्राकृतिक वारिसों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को देना चाहता है तो वसीयत का महत्व बढ़ जाता है।

वसीयत कौन तैयार करा सकता है?

स्वस्थ बुद्धि वाला कोई भी वयस्क व्यक्ति वसीयत बना सकता है। अंधे और बहरे व्यक्ति वसीयत बना सकते हैं अगर वे अपने कार्यों के परिणामों और उनके कानूनी परिणामों को समझते हों। एक सामान्य रूप से पागल आदमी भी वसीयत तैयार कर सकता है लेकिन केवल तभी जब वह बुद्धि से सोचने योग्य हो जाए। लेकिन अगर एक व्यक्ति यह नहीं जानता कि वह क्या करने जा रहा है, तो वह वसीयत तैयार नहीं कर सकता।

वसीयत का पंजीकरण

वसीयत को एक सादे कागज पर तैयार किया जा सकता है और अगर उसके नीचे हस्ताक्षर किए गए हैं तो यह पूरी तरह से वैद्य होगी अर्थात इसे कानूनी रूप से रजिस्ट्रड करवाना अनिवार्य नहीं है। लेकिन इसकी वास्तविकता पर संदेहों से बचने के लिए एक व्यक्ति इसे रजिस्ट्रड भी करवा सकता है। अगर एक व्यक्ति अपनी वसीयत को रजिस्ट्रड करवाना चाहता है तो उसे गवाहों के साथ सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय जाना होगा। विभिन्न जिलों के लिए सब-रजिस्ट्रार होते हैं और व्यक्ति को उस रजिस्ट्रार का पता लगाना होगा जो वसीयत को रजिस्ट्रड करने में सहायता करेगा।

कानूनी प्रमाण

रजिस्ट्रड करवाने के बाद वसीयत एक शक्तिशाली कानूनी प्रमाण बन जाता है। इसमें यह लिखना पड़ता है कि वसीयत बनाने वाला व्यक्ति अपनी इच्छा से ऐसा कर रहा है और उसकी बुद्धि स्वस्थ है। वसीयत वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर होने चाहिए और इसे कम से कम दो गवाहों द्वारा प्रमाणित होना चाहिए। वसीयत पर कोई स्टैम्प ड्युटी भी नहीं लगती, इसलिए इसे स्टैम्प पेपर लिखना जरूरी नहीं है।

वसीयतों के प्रकार

वसीयतें दो प्रकार की होती हैंः विशेषाधिकार युक्त और बिना विशेषाधिकार के। एक विशेषाधिकार युक्त वसीयत एक अनौपचारिक वसीयत होती है जिसे सिपाहियों, वायु सैनिकों और नौ-सैनिकों द्वारा बनाया जाता है जो साहसिक यात्राओं या युद्ध में गए हुए होते हैं। अन्य सभी वसीयतों को विशेषाधिकार रहित वसीयत कहा जाता है। विशेषाधिकार सहित वसीयतों को लिखित में या मौखिक घोषणा के रूप में और अपनी जान को जोखिम डालने जा रहे लोगों द्वारा एक अल्प समय के नोटिस द्वारा तैयार करवाया जा सकता है, जबकि विशेषाधिकार रहित वसीयत में औपचारिकताओं को पूरा करने की जरूरत होती है।

वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर

वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या निशान एक विशेषाधिकार रहित वसीयत के लिए अनिवार्य हैं। कुछ मामलों में वसीयत पर वसीयतकर्ता की उपस्थिति में किसी अन्य व्यक्ति भी हस्ताक्षर कर सकता है, उदाहरण के लिए जब वसीयतकर्ता शारीरिक रूप से ऐसा करने में सक्षम न हो। कुछ राज्यों में वसीयतकर्ता के अलावा अन्य लोगों को भी वसीयत पर हस्ताक्षर करने की अनुमति है, लेकिन ऐसा वसीयतकर्ता के निर्देश या सहमति पर ही किया जा सकता है। लेकिन हमेंशा यह सलाह दी जाती है कि बाद में किसी भी विवाद से बचने के लिए हमेशा वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर करवाए जाने चाहिए। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि एक गवाह दूसरे गवाह/गवाहों की उपस्थिति में हस्ताक्षर करे।

वसीयत की सुरक्षा

भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 में वसीयत को सुरक्षित रखने का प्रावधान है। वसीयतकर्ता का नाम या उसके एजेंट का नाम लिखा हुआ वसीयत का सीलबंद लिफाफा सुरक्षा के लिए किसी भी रजिस्ट्रार के पास जमा करवाया जा सकता है।

कानूनी गवाही

एक वसीयत को कानूनी रूप से वैद्य बनाने के लिए एक लिगेटी या वसीयत के अंतर्गत लाभ प्राप्तकर्ता को गवाह नहीं बनाया जाना चाहिए।

वसीयत का विखंडन/खात्मा 

एक वसीयत को अपनी इच्छा के अनुसार या बिना इच्छा के विखंडित किया जा सकता है। बिना इच्छा के विखंडन कानूनी प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता है। यदि वसीयतकर्ता विवाह कर लेता है तो उसकी वसीयत अपने आप विखंडित हो जाती है। विखंडन न केवल पहली बार विवाह से हो जाता है बल्कि उसके बाद किए जाने वाले विवाहों से भी हो जाता है। व्यक्ति अपनी इच्छा से जितनी बार चाहे वसीयतें बदल सकता है, लेकिन उसकी मृत्यु से पहले तैयार की गई उसकी अंतिम वसीयत लागू होती है।

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